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Sunday 28 April 2013

माँ तुमसे बाते कर दिल को हल्का करती हूँ .......



माँ तुम ना छोड़कर जाया करो
याद तुम्हारी बहुत आती है
सब खेलते हैं ख़ुशी से लेकिन
मेरी दिल में एक उदासी है
सब कुछ होता है घर में
फिर भी नज़रें कुछ ढूंढती हैं
जब तुम्हारे आने का दिन होता
दिल में ख़ुशी का अहसास होता
सुबह से लेकर शाम तक
जाने कितनी बार घडी देखती
बाहर खडी हो फिर रस्ते को तकती
फिर दूर से कोई आता दिखता
दौड़कर उसके पास पहुँचती
तुझको न पाकर फिर मायूस होती
इंतज़ार में समय कटता नहीं
कहीं भी फिर चैन नहीं
माँ तुम ना छोड़कर जाया करो
याद तुम्हारी बहुत आती है ... !


ये तो बात हुयी तब की जब माँ लौटकर आने को जाया करती थी ....

माँ तुम जो चली गयी हो छोड़कर 
मिलता नहीं अब किसी का वो 
प्यार से सर को सहलाता हाथ 
मिलता नहीं अब वो मखमली 
आँचल जिससे तुम मेरे दुखी
होने पर आंसू पोछा करती थी 
गलती करने पर डांट डपटकर 
फिर थोड़ी देर में मना लेती थी 
वो ममतामयी गोद जिसमे 
सर रखकर सो जाने से गम 
जिंदगी के मिट जाया करते थे 
तेरे प्यार के साये में ही 
मुश्किलों के तूफानों का 
डटकर सामना किया करते थे 
माँ तुम जो चली गयी हो छोड़कर 
हमेशा के लिए उस आसमान में 
तारा बन चमकने के लिए 
रोज शाम उस तारे को 
मैं घंटो निहारा करती हूँ 
मन ही मन तुमसे बाते कर 
दिल को हल्का करती हूँ 




क्यूंकि अब तो तुम चली गयी हो न छोड़कर अपनी यादों का मीठा तोहफा देकर ..........


11 comments:

  1. जी यशोदा जी जरुर ....... आपका तहेदिल से शुक्रिया ... स्नेह बनाये रखें सादर ...

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  2. बहुत ही सुन्दर और उम्दा प्रस्तुति,आभार.

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  3. मन भीग गया :-(

    कोमल सी रचना...
    अनु

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  4. उनका जाना जीवन भर खालीपन का ही अहसास करवाएगा ....... माँ से बढ़कर कोई हो ही नहीं सकता ..... मर्मस्पर्शी भाव

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  5. माँ पर रचना हो और दिल को न छुए ऐसा कैसे हो सकता है.......... बहुत सुंदर कविता आभार.

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  6. मन के भावों को शब्द दिए हैं आपने ... माँ की मधुर स्मृतियाँ खत्म नहीं होती ... दिल को छूती हुई पंक्तियाँ ....

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  7. Ma par likha jaye aur dil ko na chuye ho hee nahee sakta.

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  8. मन की गहराई तक उतरती भावुक रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति


    विचार कीं अपेक्षा
    jyoti-khare.blogspot.in
    कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?

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  9. माँ तुम जो चली गयी हो छोड़कर
    हमेशा के लिए उस आसमान में
    तारा बन चमकने के लिए
    रोज शाम उस तारे को
    मैं घंटो निहारा करती हूँ
    मन ही मन तुमसे बाते कर
    दिल को हल्का करती हूँ ....... सुन्दर अभिव्यक्ति ..रुला दिया

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  10. माँ जैसा दूसरा कोई नहीं मिलता इस संसार में ...

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पधारने के लिए धन्यवाद